टॉयलेट सीट के प्रकार, करें सही चुनाव कहीं सेहत को नुकसान ना पहुंचे, जानें 2 बेस्ट टॉयलेट सीट

टॉयलेट सीट के प्रकार को समझे बिना यदि आपने गलत टॉयलेट सीट का चुनाव कर लिया है, तो गंदगी की वजह से आपको अनेक प्रकार की गंभीर बीमारी हो सकती है जिसमें मुख्य रूप से प्रोस्टेट की सूजन, बवासीर, फिशर, फिस्टुला और मसल्स का संकुचित ना होना जैसी बीमारी हो सकती है। इसलिए कौन सी टॉयलेट सीट सबसे अच्छी होती है और टॉयलेट सीट के प्रकार कैसे होते हैं इसके बारे में जानना बहुत जरूरी है। 

टॉयलेट सीट के प्रकार
टॉयलेट सीट के प्रकार

Table of Contents

टॉयलेट सीट के प्रकार

टॉयलेट सीट के प्रकार 10 से भी ज्यादा होते हैं परंतु यहां पर कुछ चुनिंदा टॉयलेट सीट के प्रकार बताए गए हैं जिन्हें आप अपनी सुविधा के अनुसार इस्तेमाल में ले सकते हैं। इसी लेख में आगे हम यह भी बात करेंगे की टॉयलेट सीट से किस प्रकार की गंभीर बीमारियां, जिनपे रिसर्च की गई हैं उनके होने का खतरा बना रहता है और उसके समाधान के बारे में भी बात करेंगे।

1. स्टैंडर्ड टॉयलेट सीट

स्टैंडर्ड टॉयलेट सीट इसका इस्तेमाल बहुत लोग करते हैं जब वह अपने जीवन शैली के स्तर को थोड़ा सा बढ़ा चढ़ा कर दिखाना चाहते हैं तब वह स्टैंडर्ड टॉयलेट सीट का इस्तेमाल करते हैं यह टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल नहीं करती यह एक सिर्फ बेसिक टॉयलेट सीट होती है।

2. सॉफ्ट क्लोज टॉयलेट सीट

सॉफ्ट क्लोज टॉयलेट सीट इस्तेमाल करने के बाद अपने आप धीमे-धीमे बंद हो जाती है ज्यादातर मामलों में इस सीट का इस्तेमाल मिडिल क्लास फैमिली करना पसंद करती है कर हो जाने की वजह से घर के अंदर बाथरूम की बदबू नहीं फैलती।

3. आटोमेटेड टॉयलेट सीट

आटोमेटेड टॉयलेट सीट सेंसर्स के साथ आती है जो बिना हाथ लगाइए सेंसर की मदद से उपयोग करने से पहले खुल जाती है और उपयोग करने के बाद अपने से बंद हो जाती है यह सीट अक्सर बड़े-बड़े होटलों c लगाई जाती है।

4. गर्मी साधने वाली टॉयलेट सीट

टॉयलेट सीट के प्रकार में यह सीट गर्मी साधने की सुविधा प्रदान करती है, जिसका उपयोग ठंडी के दिनों में अक्सर किया जाता है यह बुजुर्गों को काफी पसंद आती है।

5. हाइट-एडजस्टेबल टॉयलेट सीट

हाइट-एडजस्टेबल सीट उपयोगकर्ता की आवश्यकताओं के अनुसार समायोजित की जा सकती है, इस सीट का इस्तेमाल उन लोगों को ध्यान में रख करके बनाया गया है जिन्हें इंडियन टॉयलेट में बैठने में दिक्कत होती है या घुटने में दर्द रहता है।

6. स्टेनलेस स्टील टॉयलेट सीट

स्टेनलेस स्टील सीट का इस्तेमाल बहुत ज्यादा देखने को नहीं मिलता इसका इंस्टॉलेशन बहुत लोग काम करवाते हैं

7. चाइल्ड-फ्रेंडली टॉयलेट सीट

टॉयलेट सीट के प्रकार में यह सीट बच्चों के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन की जाती है, जिससे बच्चों को लैट्रिन करने में सुविधा होती है वह आसानी से मल त्याग कर सकते हैं।

टॉयलेट सीट की वजह से होने वाली बीमारी

टॉयलेट सीट के खराब होने की वजह से अनेक प्रकार की गंभीर बीमारियां हो सकती हैं ज्यादातर मामलों में पब्लिक में इस्तेमाल की जाने वाली टॉयलेट सीट से संक्रमण होने का खतरा घरों में इस्तेमाल होने वाली टॉयलेट सीट से ज्यादा होता है आईए जानते हैं ऐसे कुछ बीमारियों के बारे में जो टॉयलेट सीट की वजह से होता है। 

टॉयलेट सीट के प्रकार
टॉयलेट सीट के प्रकार

सुयाग्रस्त प्रोस्टेटाइटिस

सुयाग्रस्त प्रोस्टेटाइटिस यह बैक्टीरिया के द्वारा होने वाला इंफेक्शन है। और इसका प्रमुख कारण बैक्टीरियम आइलेटेड फ्रॉम ग्राम-नेगेटिव बैक्टीरिया हो सकता है, जैसे कि ई.कोली (Escherichia coli), क्लेब्सियेला (Klebsiella), और प्रोट्यूस (Proteus)। टॉयलेट सीट का इस्तेमाल करने से पहले सुनिश्चित करें कि वह साफ सुथरी हो और इस्तेमाल करने से पहले सेनीटाइज की गई हो। सुयाग्रस्त प्रोस्टेटाइटिस शारीरिक संबंध बनाने से भी फैल सकता है क्योंकि यह एक यौन संचारित रोग भी माना जाता है।

लक्षण:- 

  • पेशाब करते समय दर्द
  • अधिक पेशाब की इच्छा
  • पेशाब के बाद बूंदें गिरना
  • बार-बार पेशाब की इच्छा

यूरिनरी ट्रैक्ट इनफेक्शन

टॉयलेट सीट के गंदे होने से यूरिनरी ट्रैक इन्फेक्शन का खतरा अक्षर बना रहता है जिसके लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया ईशेरिकिया कोलाइ (Escherichia coli) माना जाता है। अन्य बैक्टीरिया जो UTI का कारण बन सकते हैं, इनमें क्लेब्सियेला, स्टेपटोकोकस, प्रोट्यूस, और स्टाफीलोकोकस इत्यादि हैं।

कैंडिडा एलबिकंस

कैंडिडिआसिस आमतौर पर हमारे शरीर के आंतरिक और बाह्य क्षेत्रों में मौजूद होता है, गंदे टॉयलेट सीट के इस्तेमाल से और अन्य कारणों से यह संक्रमण को जन्म देता है यह आमतौर पर हमारे शरीर के अन्य माइक्रोबायोमे के साथ मिलजुल करके रहता है, लेकिन जब इम्यून सिस्टम कमजोर होता है तब यह मौके का फायदा उठा करके शरीर में संक्रमण कर देता है। कैंडिडिआसिस आमतौर पर मुख, जिभा, अंगुलियों, यौन स्थान, और आंतरिक अंगों को प्रभावित कर सकता है। इसके इलाज के लिए डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।

बवासीर

ज्यादातर लोग बाथरूम का का इस्तेमाल करते हुए फोन चलाते हैं या अखबार पढ़ते हैं ऐसे में यदि वह ऑस्टिन 10 मिनट से अधिक समय टॉयलेट सीट पर गुजार देते हैं तब गुड़ा स्थान की मांसपेशियों पर अतिरिक्त खिंचाव पड़ता है जिसकी वजह से बवासीर होने का खतरा बढ़ जाता है।

मल त्याग में कठिनाई

टॉयलेट सीट के प्रकार की ना जानकारी में गलत टॉयलेट सीट का चुनाव करने से या अत्यधिक समय तक टॉयलेट सीट पर बैठने से रेक्टम और गुदा द्वार की मांसपेशियों में होने वाला पेरीस्टाल्सिस मूवमेंट प्रभावित होता है जिसकी वजह से पाचन संबंधी समस्या भी उत्पन्न हो सकती है जिसमें मुख्य रूप से पेट साफ ना होना गैस कब्ज और अपच शामिल हैं। कुछ मामलों में यह पाचन तंत्र से संबंधित समस्या भी मानी जाती है इसलिए हमें पाचन तंत्र को मजबूत रखना चाहिए। 

गुदा द्वार में इन्फेक्शन

वेस्टर्न टॉयलेट सीट का इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है लेकिन जिन लोगों को मल त्याग करने में कठिनाई होती है, अक्सर उनके लिए वेस्टर्न टॉयलेट सीट गुदा द्वार में इन्फेक्शन का कारण बनती है। इसके पीछे का मुख्य कारण यह है कि जब मल कठोर होता है और हम अतिरिक्त दबाव से मल त्याग करने की कोशिश करते हैं,

तब गुदा द्वार की बाहरी परत जिसका नाम सिरोसा है घर्षण की वजह से वह त्वचा छिल जाती है, जिससे गुदा द्वार में इंफेक्शन होने का खतरा रहता है। इसलिए सही टॉयलेट सीट के चुनाव के साथ-साथ मल को मुलायम करने के लिए ध्यान देना चाहिए।

लैट्रिन में कितना देर बैठना चाहिए

वैदिक ग्रंथों की माने तो स्वस्थ दिनचर्या के हिसाब से लैट्रिन में बैठने में अधिक से अधिक 5 मिनट का समय देना चाहिए। कुछ मामलों में विशेषज्ञ का यह भी मानना है कि मल त्याग करते वक्त आपको उतना वक्त लगना चाहिए जितना वक्त पेशाब करने में लगता है अर्थात अधिकतम 2 मिनट।

वहीं मेडिकल साइंस की माने तो एक स्वस्थ मनुष्य अधिकतम 10 मिनट तक लैट्रिन में बैठ सकता है। यदि लैट्रिन में ज्यादा देर तक बैठते हैं तो पाचन संबंधी व अन्य प्रकार की समस्या हो सकती है, ऐसे लोगों को आंतों की सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

वेस्टर्न टॉयलेट इस्तेमाल करने से पहले सावधानियां

वेस्टर्न टॉयलेट को साफ रखने के लिए और शरीर में होने वाले संक्रमण से बचने के लिए वेस्टर्न टॉयलेट सीट पर ऑटोमेटिक पॉलिथीन का इस्तेमाल किया जाता है यह इस्तेमाल करने के बाद टॉयलेट सीट के बाहरी परत पर जहां से आपकी त्वचा संपर्क में रहती है वहां पर नई पॉलिथीन लगा देता है, जिसकी वजह से बैक्टीरिया और ईस्ट के द्वारा होने वाले संक्रमण का खतरा कम हो जाता है।

टॉयलेट सीट के प्रकार
टॉयलेट सीट के प्रकार

इस्तेमाल करने से पहले फ्लश करें

वेस्टर्न टॉयलेट सीट को इस्तेमाल करने से पहले एक बार फ्लश कर लेना चाहिए, ऐसा करने से सीट पर लगी हुई गंदगी और कुछ मात्रा में बैक्टीरिया साफ हो जाते हैं जिससे संक्रमण का खतरा कम हो जाता है।

बच्चों को कौन सी टॉयलेट सीट इस्तेमाल करनी चाहिए

छोटे बच्चों का इम्यून सिस्टम युवाओं के मुकाबले काफी कमजोर होता है इसलिए बच्चों की टॉयलेट सीट के प्रकार इंडियन टॉयलेट सीट  हो सकता है जिसका इस्तेमाल करना स्वास्थ्य के नजरिए से बेहतर माना जा सकता है क्योंकि इंडियन टॉयलेट सीट बच्चों की त्वचा को टॉयलेट सीट से दूर रखती है वहीं मल त्याग करने का सही बॉडी पोस्चर भी बना रहता है।

टॉयलेट सीट को तेजाब से धुलने का फायदा

टॉयलेट सीट को सप्ताह में एक बार तेजाब से जरूर धुलना चाहिए ऐसा करने से टॉयलेट सीट में चिपके हुए बैक्टीरिया मर जाते हैं। और उनसे होने वाले संक्रमण का खतरा कम हो जाता है, इसके साथ टॉयलेट सीट में इस्तेमाल किया गया तेजाब टॉयलेट सीट में जमी हुई अन्य प्रकार की गंदगी को भी साफ कर देता है।

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सबसे अच्छी टॉयलेट सीट कौन सी होती है

टॉयलेट सीट के प्रकार में सबसे अच्छी टॉयलेट सीट इंडियन टॉयलेट सीट होती है जो आपको संक्रमण से दूर रखने के साथ-साथ मल त्याग करते समय बॉडी पोस्चर को सही रखना है जिससे आपके गुदा द्वार पर अतिरिक्त दबाव नहीं पड़ता।

क्या वेस्टर्न सीट का इस्तेमाल गलत है

नहीं, वेस्टर्न सीट का इस्तेमाल गलत तब तक नहीं है जब तक आप साफ सफाई का उचित ध्यान नहीं रखते वेस्टर्न सीट का सही इस्तेमाल अक्सर बुजुर्गों के लिए होता है। जिन लोगों के जोड़ों में दर्द, कमर दर्द, और हड्डियों के टूटने की समस्या होती है उनके लिए वेस्टर्न सीट का इस्तेमाल आरामदायक होता है।

क्या टॉयलेट सीट से हेपेटाइटिस हो सकता है

टॉयलेट सीट से हेपेटाइटिस के होने का कोई रिसर्च प्रमाण हमें नहीं मिला है, दरअसल हेपेटाइटिस का कारण हेपटाइटिस वायरस (A, B, C, D, और E) शामिल हैं, और इनमें फैलने के तरीके विभिन्न हो सकते हैं:-

हेपटाइटिस A और E

मल और ओरल रूप से फैलता है जिसमें मुख्य रूप से गंदा पानी और गंदे भोजन का सेवन शामिल है ज्यादातर मामलों में हेपेटाइटिस भीगा हुआ या गंदा भोजन से होता है। हेपेटाइटिस से संबंधित लक्षण और निदान के लिए डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।

टॉयलेट सीट के प्रकार
टॉयलेट सीट के प्रकार

टॉयलेट सीट के प्रकार -निष्कर्ष

हमने टॉयलेट सीट के प्रकार के बारे में जाना यह विभिन्न प्रकार के होते हैं, और इनके इस्तेमाल करने का तरीका भी विभिन्न प्रकार का होता है, वही टॉयलेट सीट के प्रकार कुछ ऐसे होते हैं जिनसे गंभीर बीमारियों के फैलने का डर होता है। तो दूसरी तरफ यह कुछ विशेष लोगों के लिए एक सहारे के तौर पर साबित होती हैं, इसलिए अपने स्वास्थ्य और सहूलियत के हिसाब से टॉयलेट सीट के प्रकार को चुनना चाहिए मगर एक बात ध्यान रहे स्वास्थ्य थोड़े से आराम से ज्यादा जरूरी होता है।

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