सावन में दही क्यों नहीं खाना चाहिए यह सवाल अक्सर हमारे मन में तब उठता है जब घर के बड़े बुजुर्ग सावन में दही खाने से मना करते हैं इसके बारे में हम आज इस लेख में हम जानेंगे कि सावन में दही क्यों नहीं खाना चाहिए वह भी बिल्कुल वैज्ञानिक तरीके से जिससे आप पूरी तरीके से यह समझने में सक्षम हो जाएंगे की सावन में दही क्यों नहीं खाना चाहिए?
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सावन में दही क्यों नहीं खाना चाहिए (Sawan me dahi kyu nahi khana chahiye)
सावन में दही क्यों नहीं खाना चाहिए? यह सवाल हमारे मन में तब उठता है, जब कई लोग हमें सावन के महीने में दही खाने से होने वाली बीमारियों से सचेत करते हैं। दरअसल सावन के महीने में दही में मौजूद बैक्टीरिया हमारे इम्यून सिस्टम के साथ-साथ शरीर पर अन्य प्रकार के हानिकारक प्रभाव डाल सकते हैं। जिनके बारे में हम नीचे विस्तार से जानेंगे, इसके साथ यह भी जानेंगे कि क्या सच में सावन में दही खाने से हमारे स्वास्थ्य को नुकसान होता है। नीचे दी हुई तालिका को देखकर के आप स्पष्ट समझ पाएंगे कि सामान्य दिनों की तुलना में सावन के महीने में बैक्टीरिया की वृद्धि का दर कितना अधिक होता है;
बैक्टीरिया का नाम | सामान्य दिनों में (%) | सावन के महीने में (%) |
Lactobacillus bulgaricus | 10% | 15% |
Streptococcus thermophilus | 12% | 18% |
Lactobacillus acidophilus | 8% | 12% |
Bifidobacterium bifidum | 7% | 10.50% |
Lactobacillus casei | 9% | 13.50% |
Lactobacillus rhamnosus | 11% | 16.50% |
सावन में दही खाने से क्या होता है
सावन में दही खाने से हमारा पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है। इसके साथ शरीर का इम्यून सिस्टम भी कमजोर हो जाता है, कुछ मामले में लोगों को अपने शरीर में ऊर्जा की कमी भी महसूस होती है। ज्यादातर मामले में सावन के महीने में दही खाने से अधिक उम्र के लोगों को और बच्चों को परेशानी होती है।
सावन में दही खाने से पाचन तंत्र पर क्या प्रभाव पड़ता है
सावन के महीने में सामान्य तौर पर लोगों को पेट में गैस और एसिडिटी की समस्या का सामना करना पड़ जाता है। बदलते मौसम की वजह से वातावरण में नमी और हल्की सी ठंडक भी बढ़ जाती है। इस दौरान दही का सेवन करने से पेट में गैस, एसिडिटी और अपच जैसी समस्याओं को बढ़ावा मिलता है। और पाचन तंत्र कमजोर होने लग जाता है,
यदि आपका पहले से पाचन तंत्र कमजोर है, तो पाचन तंत्र को मजबूत करने के घरेलू उपाय आजमाना चाहिए। दरअसल दही में मौजूद लैक्टोबैसिलस और स्ट्रैप्टॉकोक्कस थर्मोफिलस की संख्या अधिक हो जाने से, दही का एसिडिटी अस्तर (Ph Level) बढ़ जाता है जिससे खाने को पचाने में समस्या उत्पन्न हो जाती है।
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अधिक मात्रा में कफ का बनाना
सावन के महीने में मौसम कभी ठंडा कभी गर्म होता रहता है। जिसकी वजह से यदि आप सावन के महीने में दही का सेवन करते हैं, तो कफ (बलगम) जैसी समस्या उत्पन्न हो सकती है। इसके साथ गले में खराश, हल्की खांसी तथा मौसमी बुखार भी हो सकता है। ज्यादातर लोगों को बलगम की समस्या बरसात के मौसम से शुरू हो जाती है।
और पूरी ठंडी रहती है ऐसे में जुकाम-खांसी को दूर करने का रामबाण तरीका काम आ सकता है। जब हम सावन के महीने में दही का सेवन करते हैं तो उसमें बैक्टीरिया की अधिकता होने की वजह से हमारे शरीर का मास्ट सेल (Mast cell) सक्रिय हो जाता है जिसकी वजह से हिस्टामाइन जैसा रासायनिक तत्व रिसने लगता है। और साइटोकाइन्स का उत्पादन भी बढ़ जाता है यह सूजन और बलगम को बनाने में बढ़ावा देते हैं।
शरीर में संक्रमण का खतरा
सावन में दही क्यों नहीं खाना चाहिए इसके पीछे एक खास वजह यह है कि, दही के बनने में बैक्टीरिया ही जिम्मेदार होता है जिसका नाम लैक्टोबैसिलस होता है। ऐसे में यदि बदलते मौसम में दही का बैक्टीरिया अधिक मात्रा में आपके शरीर में एकत्रित हो जाता है, तो यह शरीर के अंदर छोटा-मोटा संक्रमण भी पैदा कर सकता है। सावन के महीने में जिन लोगों को पेट में अल्सर की समस्या रहती है ऐसे लोगों को दही का सेवन भूल करके भी नहीं करना चाहिए।
ज्यादातर लोग जाने अनजाने में दही का सेवन कर लेते हैं ऐसे में यदि पेट में अल्सर शुरुआती दौर में होता है तो उसे अधिक बढ़ावा मिलता है। सावन के महीने में अक्सर बैक्टीरिया के संक्रमण से टाइफाइड, डायरिया, यूरिनरी ट्रैक इन्फेक्शन (UTI) का खतरा भी अधिक होता है। ऐसे में साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए,
वहीं सावन के महीने में कुछ प्रकार के वायरल संक्रमण जैसे कि डेंगू बुखार और फ्लू का खतरा भी होता है। सावन के महीने में फंगल संक्रमण जैसे कि रिंगवॉर्म, कैंडिडिआसिस, एथलीट फूट का भी खतरा अधिक होता है फंगल संक्रमण को जड़ से खत्म करने का घरेलू उपाय आजमा कर देखना चाहिए।
दही में कौन से बैक्टीरिया पाए जाते हैं
दही में पाए जाने वाले बैक्टीरिया मुख्य रूप से लैक्टोबैसिलस होते हैं, परंतु कुछ मात्रा में अन्य बैक्टीरिया भी पाए जाते हैं जो दही के बनाने, स्वाद और शरीर के पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने तथा आंतो की सफाई का ख्याल रखते हैं। नीचे टेबल में दही में पाए जाने वाले बैक्टीरिया की सूची दी गई है जिसे आप आसानी से समझ सकते हैं;
बैक्टीरिया का नाम | विवरण |
Lactobacillus bulgaricus | दही के निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाता है। |
Streptococcus thermophilus | दही के स्वाद और बनावट को प्रभावित करता है। |
Lactobacillus acidophilus | पाचन तंत्र के लिए फायदेमंद होता है। |
Bifidobacterium bifidum | आंतों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। |
Lactobacillus casei | पाचन को सुधारता है और आंतों की सेहत को बढ़ावा देता है। |
Lactobacillus rhamnosus | आंतों के माइक्रोबायोम को संतुलित रखता है और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है। |
सावन के महीने में दही ना खाने का मुख्य कारण क्या है
दरअसल दही के बनने में मनुष्यों के लिए लाभदायक बैक्टीरिया जैसे कि लैक्टोबैसिलस (Lactobacillus) और स्ट्रैप्टॉकोक्कस (Streptococcus) की खास भूमिका होती है। इन बैक्टीरिया की वजह से ही दही का निर्माण होता है। सावन के महीने में वातावरण में नमी अधिक होती है, और तापमान में थोड़ी बहुत वृद्धि भी हो जाती है,
बैक्टीरिया और फफूंद (फंगस) को पनपने के लिए ऐसा वातावरण पूरे तरीके से अनुकूल होता है। इस कारण से दही में कुछ सूक्ष्मजीवों जैसे कि फफूंद की वृद्धि भी हो जाती है, और जब हम ऐसे दही को खाते हैं तब वह हमारे स्वस्थ शरीर को नुकसान पहुंचाने का कार्य करती है।
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सावन के महीने में दूध में भी मौजूद हो सकता है बैक्टीरिया
कुछ मामले में यह देखा गया है कि सावन के महीने में दूध में भी बैक्टीरिया मौजूद हो सकते हैं। इसके साथ यह भी देखा गया है कि सावन के दिनों में दूध की गुणवत्ता अन्य दिनों की तुलना में अच्छी नहीं रहती है, सावन के महीने में नई-नई घास उगती हैं। और उसे दूध देने वाले पशु दैनिक चारा के रूप में खाते हैं। जिससे हानिकारक कीट-पतंगे और बैक्टीरिया घास से होते हुए गाय-भैंस के पेट में पहुंच जाते हैं, जिससे वह दूध की गुणवत्ता को भी प्रभावित कर सकते हैं।
क्या सावन के महीने में कड़ी खाना चाहिए
जैसा कि हमने ऊपर बताया कि सावन के महीने में दही क्यों नहीं खाना चाहिए जाहिर सी बात है कड़ी बनाने में दही का इस्तेमाल होता है इसलिए दही की तरह सावन में कड़ी का सेवन करना भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है।
क्या सावन के महीने में साग खा सकते हैं
वैसे तो यदि साग बनाने से पहले अच्छी प्रकार से जीवाणु रहित कर लिया जाए तो उससे खास नुकसान नहीं होता, परंतु सबसे सुरक्षित यह होगा कि सावन के महीने में आपको सांग नहीं खाना चाहिए। साग में बैक्टीरिया और उनके एग मौजूद हो सकते हैं, कुछ बैक्टीरिया 100 डिग्री सेल्सियस के तापमान को भी सहन कर जाते हैं, जिसकी वजह से वह हमें स्वास्थ्य संबंधी नुकसान भी पहुंचा सकते हैं।
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सावन में दही ना खाने की धार्मिक मान्यता
हिंदू धर्म में सर्वाधिक प्रिय भगवान शिव को दूध और दही से प्रसन्न करने की प्रथा चली आ रही है। ऐसे में सावन का पूरा महीना भगवान शिव का महीना माना जाता है। भगवान शिव में आस्था रखने वाले लोग सावन में दूध दही का सेवन नहीं करते। वह अपने संपूर्ण दूध और दही को भगवान शिव की पूजा, अर्चना में समर्पित कर देते हैं, और मनोवांछित फल की कामना करते हैं और भगवान शिव उनकी इस कामना को पूर्ण भी करते हैं।
सावन में किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए
- हाथ धोना: नियमित रूप से हाथों को साबुन और पानी से धोएं, विशेषकर खाने से पहले और टॉयलेट के बाद।
- नाखून साफ रखना: नाखूनों को छोटा और साफ रखें।
- शरीर की सफाई: नहाने के बाद शरीर को अच्छे से सुखाएं और साफ कपड़े पहनें।
- उबला हुआ पानी: पीने के लिए उबला हुआ या फ़िल्टर किया हुआ पानी इस्तेमाल करें।
- पानी के स्रोत: खुले पानी के स्रोतों से पानी पीने से बचें। हमेशा साफ और सुरक्षित पानी का ही सेवन करें।
- ठंडे पेय पदार्थ: ठंडे पेय पदार्थों और आइसक्रीम से बचें।
- मच्छरदानी का उपयोग: सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें।
- मच्छर भगाने वाले उत्पाद: मच्छर भगाने वाले क्रीम, स्प्रे या कॉइल का उपयोग करें।
- पानी जमा न होने दें: आसपास कहीं भी पानी जमा न होने दें, क्योंकि मच्छर पानी में अंडे देते हैं।
- ताजा भोजन: ताजे फल और सब्जियों का सेवन करें, जो अच्छे से धोए और साफ किए गए हों।
- फास्ट फूड से बचें: बाहर के खाने और जंक फूड से परहेज करें, क्योंकि ये दूषित हो सकते हैं।
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सावन में दही क्यों नहीं खाना चाहिए -निष्कर्ष
हमने इस पूरे लेख में जाना कि सावन में दही क्यों नहीं खानी चाहिए? वह भी बिल्कुल वैज्ञानिक तरीके से। हमें पूर्ण रूप से विश्वास है कि इतनी जानकारी प्राप्त होने के बाद आपको स्पष्ट रूप से समझ में आ गया होगा कि सावन में दही क्यों नहीं खाना चाहिए। बड़े बुजुर्गों की कुछ बातें सही भी हो सकती हैं, सावन के बदलते मौसम में आपको अपने स्वास्थ्य का अच्छे से ख्याल रखना चाहिए। इन दिनों में खाने-पीने की चीजों का चुनाव सोच समझकर करना चाहिए, थोड़े बहुत तापमान में परिवर्तन होने से सर्दी जुकाम कफ जैसी समस्या उत्पन्न हो जाती है।
मेडिको सूत्र (MedicoSutra) पर आने के लिए दिल से धन्यवाद, हम आपके बेहतर स्वास्थ्य की कामना करते हैं।
कृपया अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें।