चिकनगुनिया मादा एडिस मच्छर के काटने से होने वाली एक वायरल बीमारी है, चिकनगुनिया फैलने वाले वायरस का नाम ” अरबो वायरस ” है जब मादा मच्छर किसी संक्रमित व्यक्ति को काटता है, तब उसके अंदर यह वायरस चला जाता है फिर जब वही मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है, तब अरबो वायरस स्वस्थ व्यक्ति के अंदर प्रवेश कर जाता है जिससे उस स्वस्थ व्यक्ति को चिकनगुनिया का संक्रमण हो जाता है।
संक्रमण फैलने वाले मच्छर के काटने का मुख्य समय बिल्कुल सुबह या फिर, रात होने से पहले शाम को होता है इस वक्त चिकनगुनिया के मच्छर के काटने का खतरा ज्यादा होता है ,और यह घर के बाहर भी मनुष्य को काट लेते हैं।
चिकनगुनिया में क्या खाना चाहिए
संक्रमण होने पर मरीज को ऐसे पदार्थ का सेवन करना चाहिए जिनमें पानी की मात्रा भरपूर पाई जाती है और विटामिन-सी से भरपूर फलों का सेवन करना चाहिए, हरी पत्तेदार सब्जियां, नारियल पानी इत्यादि का सेवन करना चाहिए बीच-बीच में सूप का सेवन भी कर सकते हैं दिन में दो से चार बार तुलसी के पत्ते को पानी में हल्का उबालकर के चाय की तरह पीने से भी आराम मिलता है।
चिकनगुनिया का लक्षण कितने दिन में दिखाई देता है ?
संक्रमित मच्छर के काटने के एक हफ्ते के अंदर संक्रमण की शुरुआत स्वस्थ मनुष्य के अंदर हो जाती है कभी-कभी 10 दिन तक भी लग सकता है।
चिकनगुनिया का लक्षण क्या है ?
चिकनगुनिया का लक्षण यह होता है संक्रमित व्यक्ति के हाथ-पैर के जोड़ों और मांसपेशियों में बहुत तेज दर्द के साथ-साथ बुखार भी हो जाता है, चिकनगुनिया के कुछ लक्षण डेंगू बुखार से मिलते जुलते पाए जाते हैं, यहां चिकनगुनिया के कुछ मुख्य लक्षण बताए गए हैं।
- बहुत ज्यादा थकान का महसूस होना
- सर में दर्द का रहना
- कमजोरी महसूस होना
- बार-बार उल्टी आना
- चक्कर का आना
- हाथ और पैर के जोड़ों मैं बहुत दर्द होना
- अचानक से तेज बुखार का आना ( 40°C / 104°F )
- शरीर पर कुछ जगह चकत्ते और दाने का दिखाई देना
चिकनगुनिया का टेस्ट कैसे होता है ?
चिकनगुनिया की जांच करने के लिए मरीज से सैंपल लिया जाता है सैंपल के लिए मरीज के शरीर से खून या फिर सिरम को लिया जाता है और उस सैंपल के अंदर वायरस के RNA या फिर किसी विशेष एंटीबॉडी ( IgG और IgM ) की मौजूदगी को देखकर के पता लगाया जाता है यह एंटीबॉडी हमारे शरीर का प्रतिरक्षा प्रणाली तंत्र, वायरस को संक्रमण फैलने से रोकने के लिए बनता है।
चिकनगुनिया के टेस्ट में 3 टेस्ट मुख्य रूप से शामिल हैं
1. वायरस आइसोलेशन ( virus isolation)
इस टेस्ट में संक्रमण के होने का सटीक पता लगाया जाता है सामान्य तौर पर इसे होने में 7 से 15 दिन का वक्त लगता है।
2. सेरोलॉजिकल टेस्ट
इस टेस्ट में मरीज से ज्यादा मात्रा में सैंपल लिया जाता है जिससे एंटीबॉडी ( IgG और IgM ) के लेवल को जांचा जाता है इस प्रक्रिया में ELISA का भी इस्तेमाल किया जाता है।
3. पॉलीमरेस चैन रिएक्शन ( PCR )
जब संक्रमण के हल्के लक्षण दिखाई देते हैं तब डॉक्टर इस टेस्ट को करते हैं यह संक्रमण के शुरुआत में ही पता लगाने की जांच होती है यह एक हफ्ते के भीतर के परिणाम को बता देता है।
चिकनगुनिया कितने दिन में ठीक होता है
साधारण रूप से मरीज को ठीक होने में महीने का वक्त तक लग जाता है कुछ मामलों में शरीर के मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द वर्षों तक बना रहता है, कई बार मरीज को बुखार ठीक हो जाने के बावजूद काफी समय तक थकान और कमजोरी का अनुभव होता रहता है।
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चिकनगुनिया कितना खतरनाक होता है
चिकनगुनिया से संक्रमित मरीज के मरने की संख्या कम होती, यह ज्यादा उम्र के लोगों और नवजात बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है, हाई ब्लड प्रेशर, मधुमेह और हृदय से संबंधित रोग से ग्रसित मरीज के लिए भी खतरनाक होता है, यह अपने आप ठीक होने वाली बीमारी है लेकिन कुछ घरेलू नुस्खे आजमा कर जल्दी आराम प्राप्त किया जा सकता है।
चिकनगुनिया की दवा क्या है ?
चिकनगुनिया वायरस के द्वारा फैलने वाला संक्रमण है इसलिए इसके इलाज के लिए कोई विशेष दवा अभी तक उपलब्ध नहीं है बुखार और शरीर के मांसपेशियों तथा जोड़ों के दर्द को काम करने के लिए कुछ दवाएं दी जाती हैं, इस वक्त मरीज को सलाह दी जाती है कि वह खूब सारे तरल पदार्थ का सेवन करें अर्थात,
शरीर में पानी की कमी बिल्कुल न होने दे और ज्यादा से ज्यादा आराम करता रहे ,अगर आपकी किसी प्रकार की दवा चल रही है तब ऐसे में डॉक्टर को जरूर बताएं बिना डॉक्टर के सलाह की किसी प्रकार की दवा खाना आपकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है।
चिकनगुनिया फैलने से कैसे रोके
चिकनगुनिया मच्छर के काटने से फैलने वाली बीमारी है इसलिए हमें अपने आसपास के वातावरण को साफ और स्वच्छ रखना चाहिए जिससे वहां पर मच्छर ना पनपने , चिकनगुनिया को फैलने से रोकने के कुछ तरीके बताए गए हैं जिन्हें हर इंसान को एक जिम्मेदार नागरिक के तौर पर जरूर अपनाना चाहिए।
1: अपने आसपास पानी इकठ्ठा ना होने दें
2: बाहर जाते वक्त हाथ और पैरों को फुल स्लीव वाली शर्ट और फुल पैंट से अच्छी प्रकार से ढक करके रखें
3: सोते वक्त हमेशा मच्छरदानी का प्रयोग करें
4: अपने घर में और आसपास कीटनाशक का छिड़काव समय-समय पर करते रहें
5: दिन के समय काटने वाले मच्छरों से बचने के लिए कीटनाशक और वेपराइजर का उपयोग जरूर करें
6: मच्छरों को तुरंत भगाने के लिए स्प्रे का इस्तेमाल भी करें मगर अपने नाक को उससे दूर रखें
7: घर के अंदर लगे हुए गमले में कीटनाशक का छिड़काव जरूर करें
8: अपने आसपास की नाली को ढक करके रखें
9: रुके हुए पानी में मिट्टी के तेल का छिड़काव करें जिससे मच्छर के लारवा डुब करके मर जाएं और मच्छर पानी के ऊपर और बच्चे पैदा करने में असमर्थ हो जाए
10: अपने आसपास कूड़े का देर ना लगे दें जिससे मच्छर के पनपने की संभावना कम हो
11: ऐसी जगह जाने से बच्चे जहां पर चिकनगुनिया का संक्रमण पहले से फैला हुआ हो, ऐसे में अगर चिकनगुनिया से संक्रमित एक भी मच्छर ने आपको काट लिया तब आपको संक्रमण हो सकता है
चिकनगुनिया किस अंग को प्रभावित करता है
सर्वप्रथम चिकनगुनिया त्वचा से संबंधित संक्रमण करता है ,इसमें मरीज के आंखों, गुर्दे तथा हृदय से संबंधित समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
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