गलसुआ का खुद इलाज करने के तरीके पुराने काल से लोगों की मदद करते आ रहे हैं, इस लेख में हम गलसुआ का देसी इलाज जानेंगे इसके साथ इस बात पर भी ध्यान देंगे की गलसुआ की रोकथाम कैसे की जाए जिससे दोबारा होने से या गलसुआ को फैलने से रोका जा सके।
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गलसुआ का खुद इलाज करने के तरीके
(1.) गलसुआ का खुद इलाज करने के तरीके में कुछ देसी तरीके अपनाए जाते हैं, जिसमें मुख्य रूप से मरीज के खाने-पीने, साफ सफाई, लाल दवा (पोटाश परमैंग) दूध व मुनक्का की मदद से गलसुआ का खुद इलाज किया जा सकता है। यदि गलसुआ (Mumps) का असर अधिक है तो, गलसुआ का आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और एलोपैथिक दवा का इस्तेमाल गलसुआ के विशेषज्ञ की सलाह से करना चाहिए।
(2) यदि गलसुआ बच्चे या पुरुष को हो जाए तो उसे कम से कम 6 से 7 दिनों तक अलग रखें। जिससे गलसुआ का पैरामाइक्सो वायरस को फैलने से रोका जा सकता है।
(3) गलसुआ के रोगी को दिन में कम से कम एक से दो बार मुख की अच्छे से सफाई करवाना चाहिए। इस दौरान लाल दवा (पोटाश परमैंग) से कुल्ला करना चाहिए।
(4)गलसुआ के मरीज को खाने में तरल पदार्थ अधिक दें। यदि वह सख्त पदार्थ को खाने का प्रयास करेगा, तो इससे गले में चोट लग सकती है, इसके साथ कठोर भोजन को चबाने में भी समस्या का सामना करना पड़ता है। यदि मरीज को गलसुआ में ज्यादा दर्द हो रहा है तो उसे विशेषज्ञ से तुरंत संपर्क करना चाहिए।
गलसुआ का घरेलू उपचार (Home Remedies for Galsua in Hindi)
- गलसुआ का खुद इलाज करने के तरीके में एक तरीका यह भी है कि सूती कपड़े की पोटली बनाकर के उसे पहले गर्म तवे पर हल्का गर्म कर लें इसके बाद उसे गर्म पोटली से गलसुआ की धीमे-धीमे सिकाई करें इस प्रक्रिया को दिन में दो से तीन बार किया जा सकता है।
- समय-समय पर हल्का गर्म अर्थात गुनगुना एक गिलास पानी में आधा चम्मच नमक मिलाकर गरारे करना चाहिए यह गलसुआ की रोकथाम के लिए उपयोगी माना जाता है।
- गलसुआ में बर्फ के पैक से सिकाई करने पर सूजन और दर्द को कम किया जा सकता है। जिससे मरीज को राहत महसूस होती है, बर्फ के द्वारा गलसुआ से प्रभावित क्षेत्र पर दिन में दो से तीन बार सिकाई करें।
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गलसुआ में क्या नहीं खाना चाहिए (Galsua me kya nahi khana chahiye)
यदि मरीज को इस बात का असमंजस है कि गलसुआ में क्या खाना चाहिए और गलसुआ में क्या नहीं खाना चाहिए तो उसे सर्वप्रथम खट्टे खाद्य पदार्थों को मना कर देना चाहिए। क्योंकि गलसुआ के दौरान खट्टे फलों का सेवन करने से यह सूजन को बढ़ा सकता है। इसके साथ खट्टे फल में एसिडिटी होती है जिसकी वजह से यह मुंह में जलन भी पैदा कर सकते हैं। कुछ छोटे बच्चे जिनका पाचन तंत्र कमजोर है, ऐसे बच्चे जब अधिक मात्रा में खट्टे फलों का सेवन करते हैं, तो उनका पाचन तंत्र ठीक से काम नहीं करता है।
गलसुआ का देसी इलाज / गलसुआ की पट्टी
आयुर्वेद व आयुर्वेदाचार्य के अनुसार गलसुआ होने पर लाल ग्रंथि में कफ वाला शोथ (सूजन) हो जाता है। यदि उसमें शोथ हो जाता है तब उसपर कुष्ठ, हल्दी, चित्रकूल, सरसों, सौभाजन आदि में से किसी एक औषधि को धतूरे के रस में पीसकर लेप बना लें इसके बाद लेप को हल्के हाथों से गलसुआ के ऊपर लगे जब लिप अच्छे से लग जाए उसके बाद ऊपर से हल्की रूई से बांध दें, यह गलसुआ की पत्ती विशेष रूप से लाभकारी सिद्ध हो सकता है।
गलसुआ को कई नाम से बुलाया जाता है जैसे की; कनपेड, कर्णमूलक ज्वर, कर्णक ज्वर, कर्णमूल ग्रंथिका ज्वर, पाषाण गर्दभ, मम्पस (Mumps), कनफड़े, एपिडेमिक पैरोटाइटिस इत्यादि नाम से जाना जाता है।
गलसुआ कैसे होता है (Galsua kaise hota hai)
गलसुआ एक प्रकार का वायरस है जो एक रोमेरिस से दूसरे मरीज में संक्रमण के द्वारा फैलता है अक्सर यह 5 वर्ष से लेकर 15 वर्ष की आयु के बच्चों में मुख्य रूप से देखा गया है यह अक्सर बसंत ऋतु में फैलता है यदि किसी को गलसुआ का संक्रमण होता है तो ऐसे में परितीद ग्रंथि में सूजन हो जाती है।
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क्या गलसुआ में मवाद बनता है
नहीं, गलसुआ में मवाद नहीं बनता यदि यह सामान्य सूजन की तरह है। परंतु यह सही देखभाल न करने पर गंभीर समस्या उत्पन्न कर सकता है।
गलसुआ के लक्षण (galsua ke lakshan)
गलसुआ के कई प्रकार के लक्षण होते हैं यदि इनको पहचान में आप सक्षम नहीं है तो गलसुआ के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लेनी चाहिए आईए जानते हैं गलसुआ के शुरुआती लक्षण क्या-क्या होते हैं;
- अक्सर गलसुआ का रोग अचानक होता है
- इस दौरान रोगी को गला खराब होना बुखार होना तथा कान के पीछे दर्द होना
- मुंह खोलने पर दर्द होना
- अधिक बुखार के साथ सूजन का होना
- कुछ स्थिति में छाती के सामने वाले भाग में भी हल्की मात्रा में सूजन महसूस की जा सकती है
- रोगी को बोलने में दर्द महसूस होना
- कठोर भोजन को खाने में दर्द होना
- गलसुआ की सूजन को दबाने पर दर्द महसूस होता है
- मुंह से दुर्गंध का आना
- मुंह का हमेशा सुखा-सुखा सा लगना
- थकान महसूस होना
- कुछ भी खाने का मन ना करना अर्थात भूख ना लगना
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गलसुआ कितने दिन में ठीक होता है (Galsua kitne di me thik hota hai)
ज्यादातर मामले में अच्छे से देखभाल करने पर गलसुआ 20 से 25 दिन के अंदर ठीक हो जाता है। गलसुआ का जल्दी ठीक होना बच्चों के स्वास्थ्य के ऊपर भी निर्भर करता है स्वस्थ बच्चे जिनके शरीर मे ताकत होने से जल्दी कमजोरी का एहसास नहीं होता है।
गलसुआ किसके द्वारा फैलता है
गलसुआ एक प्रकार का वायरस से संबंधित संक्रमण है यह साफ सफाई न रखने की वजह से एक मरीज से दूसरे मरीज में तेजी से फैलता है। यह ड्रॉपलेट्स के रूप में सांस लेते वक्त या दूषित खाना और पानी के सेवन के द्वारा फैलता है।
गलसुआ होने पर शरीर को क्या नुकसान होता है
कल सुबह होने पर अनेक प्रकार के रोग उत्पन्न हो सकते हैं जैसे की, सरटोली सेल में बनने वाले शुक्राणुओं की संख्या में भारी कमी हो जाती है। इसके अलावा गलसुआ होने पर आमाशय में सूजन भी हो जाती है, जिसकी वजह से उल्टी, दस्त के साथ पेट में अधिक दर्द का भी एहसास होता है परंतु यह तीन से चार दिन में ठीक हो जाता है।
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क्या गलसुआ से इंसान बहरा हो सकता है
हां, यदि समय रहते उचित देखभाल न किया जाए तो गलसुआ होने की वजह से बच्चों में बहरापन की शिकायत भी देखी जा सकती है। इसलिए यदि गलसुआ अधिक परेशान कर रहा है, तो ऐसे में गलसुआ का खुद इलाज करने से बेहतर है विशेषज्ञ से परामर्श जरूर लें।
गलसुआ का खुद इलाज करने के तरीके -निष्कर्ष
दोस्तों हमने इस लेख गलसुआ का खुद इलाज करने के तरीके में जाना की गलसुआ कैसे ठीक किया जा सकता है। इसके साथ हमने गलसुआ के लक्षण व विशेष सावधानियां के बारे में भी जाना, दोस्तों गलसुआ एक प्रकार का वायरस से फैलने वाला संक्रमण है। 5 वर्ष से लेकर 15 वर्ष की आयु के बच्चों की साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए, इसके साथ बच्चों को यह भी सीखाए की यदि वह किसी ऐसे मरीज को देखें तो वह फौरन उनसे उचित दूरी बना लें। इसके साथ गलसुआ का सही प्रकार से देखभाल करने पर सामान्य तौर पर यह किसी गंभीर बीमारी का कारण नहीं बनता है।